Category: बच्चों का पोषण
By: Salan Khalkho | ☺6 min read
सावधान - जानिए की वो कौन से आहार हैं जो आप के बच्चों के लिए हानिकारक हैं। बढते बच्चों का शारीर बहुत तीव्र गति से विकसित होता है। ऐसे में बच्चों को वो आहार देना चाहिए जिससे बच्चे का विकास हो न की विकास बाधित हो।
बच्चे के पहले वर्ष में ठोस आहार की शुरुआत, उसके जीवन का एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
शिशुओं की प्राकृतिक जिज्ञासा होती है की वे आपके मुंह में जाने वाली सभी चीजों के तरफ आकर्षित हों, मगर आपको ध्यान देना है को आप का बच्चा क्या खाता है।
जब आप का बच्चा एक बार 6 month का हो जाता है तब आप उसे तरह तरह के आहार चखने के लिए दे सकते हैं। इससे बच्चे को विभिन प्रकार से स्वाद और आहार के बनावट (texture) के बारे में पता चलेगा।
जब आप बच्चे को ठोस आहार देना प्रारंभ करते हैं तो यह जानना बहद जरुरी है की कौन से आहार आप को अपने बच्चे को देना चाहिए और कौन सा नहीं।
व्यस्क लोगों का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित होता है जबकि बच्चों का विकाशील स्थिति में होता है।
हम आप को बताएँगे उन खाद्य पदार्थों के बारे में जिसे बाल रोग विशेषज्ञ और स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों के देने से मना करते हैं
भारत के कई ऐसे राज्य हैं जहाँ शिशुओं को जन्म के कुछ ही दिनों के अंदर शहद चटाया जाना एक रिवाज है। मगर सच तो यह है की बच्चों को ६ महीने से पूर्व कुछ भी नहीं दिया जाना चाहिए। शहद तो बिलकुल भी नहीं। बच्चे को ६ महीने तो क्या एक साल से पहले नहीं दिया जाना चाहिए। शहद क्लॉस्ट्रिडियम बोटिलिनम बीजाणुओं का एक स्रोत है। ये बीमारी शिशु के आंतों में तेज़ी से बढती है और शिशु बोटुलिज़्म (infant botulism) में विकसित हो जाती हैं। बड़े बच्चों (older toddlers) का पाचन तंत्र परिपक्व होता है और इस प्रकार के बोटुलिज़्म (बीमारी) से लड़ सकता हैं। लेकिन एक वर्ष तक की उम्र के बच्चों में यह बीमारी (बैक्टीरिया) गंभीर परिणामों पैदा कर सकता है। इससे बच्चे को कब्ज और कमजोरी होता है और बच्चा बहुत रोता है। एक बार बच्चे में इस बीमारी का संक्रमण लग जाने पे बच्चा स्तनपान या बोतल से चूसने में कठिनाई महसूस करता है। अगर आप बच्चे को कुछ मीठा ही देना चाहते हैं तो उसे ताज़े फल खाने को दें। मगर वो भी तब जब आप का बच्चा ६ महीने का हो जाये।
जीवन के पहले वर्ष के दौरान स्तनपान या फार्मूले दूध पर ही बच्चे को रखें। गाय के दूध और सोया दूध में ऐसा प्रोटीन और मिनरल्स होते हैं जो आपका बच्चा अभी पचा नहीं सकता हैं। अगर आप बच्चे को ये अभी देंगे तो ये आप के बच्चे के अविकसित गुर्दे को नुकसान पहुंचा सकता हैं। इसके अलावा, कुछ बच्चों में दूध और अन्य डेयरी उत्पादों में मौजूद लैक्टोज के कारण भी पाचन समस्या होती है। जबकि कुछ अन्य बच्चों को दूध के प्रोटीन से एलर्जी हो जाती है, जिससे अल्सर और एलर्जी के अन्य लक्षण पैदा हो सकते हैं। यह भी पाया गया है की गाय के दूध से कुछ बच्चों के आंतों से खून भी आता है जिससे एनीमिया का जोखिम पैदा होता है।
अखरोट की तरह, मूंगफली का मक्खन गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाओं का कारण हो सकता है। नए माता-पिता को अक्सर यह पता नहीं होता कि मोटे और चिपचिपा खाद्य पदार्थों का एक चम्मच ही काफी हैं बच्चे में घुटन का खतरा पैदा करने के लिए। अपने छोटे बचों को मूंगफली का मक्खन और उसी तरह के हर खाद्य पदार्थों जो काफी चिपचिपा हो, खाने को न दें। अगर आप का बच्चा मूंगफली का मक्खन खाने के लिए बहुत जिद्द करे तो आप उसे रोटी पे या ब्रेड पे एक पतला परत लगा के दे सकते हैं। मगर बच्चे पे ध्यान बनाये रखें की कहीं इससे भी बच्चे को choking नो हो जाये। आप चाहें तो मूंगफली का मक्खन की अत्यधिक चिपचिपाहट (thick consistency) को कम करने के लिए इसमें apple sauce भी मिला सकते हैं।
पके और प्यूरी या कच्चे, कुछ सब्जियां जैसे कि बीट्स, पालक, सौंफ़, कोलार्ड साग और lettuce में नाइट्रेट का स्तर बहुत अधिक होता है। एक वर्ष से छोटे शिशुओं के पास नाइट्रेट्स को process करने के लिए पर्याप्त stomach acids नहीं होता हैं। इससे सब्जियां में मौजूद नाइट्रेट्स बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है। नाइट्रेट्स ऑक्सीजन परिवहन की रक्त की क्षमता को कम कर देता हैं। इससे बच्चे में ऑक्सीजन का स्तर खतरनाक रूप से गिर जाता है। जिसे ब्लू बेबी सिंड्रोम कहा जाता है। ये सारे सब्जियां अभी फ़िलहाल बच्चे को न दें जब तक की बच्चा एक साल का न हो जाये। आप अपने बच्चे को पकाया हुआ स्क्वैश (कद्दू), मीठा आलू (शकरकंद), मटर और अन्य (मुलायम) उच्च विटामिन वाले तथा, कम नाइट्रेट वाले सब्जियों के को खाने को दें।
मछलियाँ बच्चों के शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिए बहुत अच्छी है। ये बच्चों के मस्तिष्क को तेज़ बनती हैं। मगर सावधान - कुछ मछलियाँ आप के बच्चे के लिए अच्छी नहीं हैं। जैसे की मैकेरल, शार्क, सोर्ड मछली और ट्यूना। इन मछलियों में मरकरी का स्तर बहुत ज्यादा होता है। एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मरकरी का यह स्तर बेहद हानिकारक है। अगर आप अपने बच्चे को किसी प्रकार का समुद्री भोजन देना चाहते हैं तो आप उन्हें flounder, cod, haddock या sole मछली दे सकते हैं। मछलियाँ देते वक्त उनका कांटा भली भांति निकल दें। अपने बच्चे को सप्ताह में एक बार से ज्यादा मछली न दें खाने को। जिन परिवारों में मछलियों (sea food) से एलर्जी का इतिहास रहा है उन परिवारों को अपने छोटे बच्चों को मछलियाँ खाने को नहीं देना चाहिए जब तक की उनका बच्चा दो साल का न हो जाये। अगर परिवार में एलर्जी का इतिहास न भी हो तो भी जब तक की बच्चा तीन साल का न हो जाये उसे shellfish, oysters और lobster खाने को न दें।
स्ट्रॉबेरी, ब्लूबेरी, रास्पबेरी और ब्लैकबेरी में प्रोटीन होता है जो शिशुओं और छोटे बच्चों को आसानी से पचता नहीं है। संतरे और ग्रेपफ्रूट (grape fruit), अत्यधिक अम्लीय होते हैं और ये बच्चे के डायपर क्षेत्र में या उनके पीठ या चेहरे या पेट पे चकत्ते पैदा कर सकते हैं। इन फलों को आप अपने बच्चे को एक साल के बाद ही दें। लेकिन अगर आपका मन न मने तो आप एक समय में थोड़ी-थोड़ी कर के बच्चे को खाने को दें। जब बच्चे को दें तो यह सुनिश्चित करें बच्चे में कहीं कोई प्रतिक्रिया तो नहीं हो रही है।
शिशुओं को अपने भोजन में ज्यादा नमक की ज़रूरत नहीं है - एक दिन में 1 ग्राम से कम नमक ही बच्चे को चाहिए। स्तन के दूध और formula milk में इतना नमक होता है की बच्चे के नमक की आवश्यकता को पूरी कर सके। नमक की बड़ी मात्रा से निपटने के लिए बच्चे का गुर्दे (kidneys) पर्याप्त रूप से विकसित नहीं होते हैं।
कुछ कारणों से पहले वर्ष में आप अपने बच्चे को बीज और नटों को देने से बचें। ऐसा इसलिए क्यूंकि न केवल वे अत्यधिक एलर्जीक होते हैं, बल्कि इसलिए भी क्यूंकि हर साल ढेरों बच्चों में choking injuries और मोत का कारण भी बनते हैं। एक वर्षीय के बच्चे का वायुमार्ग (airway) अभी भी बहुत छोटा है, इसलिए सूरजमुखी के बीज जितना छोटा बिज भी आसानी से बच्चे के गले में फंस सकता है। साल, 2008 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक, सूरजमुखी का बीज, 5 साल से कम उम्र के बच्चों में, घुटने से होने वाले खतरों का नौवां सबसे आम वजह है। यदि आप अपने बच्चे को इसलिए Seeds & Nuts देना चाहते हैं ताकि उसे प्रोटीन मिल सके तो आप उसे अंडा दें या टोफू के क्यूब्स को दें।
मीठे और पोषक तत्वों से भरा, अंगूर बच्चों के लिए एक अच्छा नाश्ता है, लेकिन जब तक वे बड़े नहीं होते, उनका पाचन तंत्र इतना सक्षम नहीं होता की अंगूर की सख्त त्वचा को पूरी तरह से पचा सके। और तो और, फल का गोल आकार घुटन का खतरा भी पैदा करता हैं।
शिशुओं को अंडे पसंद हैं, लेकिन अंडे से बच्चों में गंभीर एलर्जी प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं। विशेष रूप से अंडा के सफेद हिस्से से एलर्जी प्रतिक्रियाएं बहुत आम हैं। यदि आप वास्तव में अपने बच्चे को अंडे देना चाहते हैं, तो सफेद हिस्से को अलग करें और पीले भाग को अच्छी तरह से पकाएं (या अंडे उबालें और उसमे से पीले हिस्से को बहार निकल लें)। किसी भी सामान्य एलर्जी वाले खाद्य पदार्थों की तरह - अंडे को भी अकेले ही बच्चे को पहली बार खाने को दें - इस तरह, आप इस बात को देख पाएंगे कि वास्तव में आप के बच्चे मैं अंडे से कोई प्रतिक्रिया हुई है या नहीं।
चॉकलेट तो हर बच्चे का favourite होता है मगर सावधान। ये जितना खाने में सुखदायक होता है ये उतना ही हानिकर भी है। चॉकलेट में मौजूद कैफीन आपके बच्चे पे विपरीत प्रभाव दाल सकता है। इसके अलावा, एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को चॉकलेट में मौजूद डेयरी, को पचाने में मुश्किल हो सकती है। छोटे और गोलाकार चॉकलेट से बच्चों में घुटन का खतरा भी रहता है।
अंगूर की तरह, कच्चे गाजर का आकार और उसका कडापन छोटे बच्चों के लिए संसार में तीसरा सबसे बड़ा घुटन का कारण है। विशेष रूप से baby carrots, बच्चों के गले में फंसने के लिए सही आकार हैं। बच्चे को बीटा कैरोटीन की दैनिक खुराक देने का सबसे सुरक्षित तरीका है की आप उन्हें गाजर को मैश कर के या गाजर की प्यूरी बना के दें। बच्चों को celery और कच्चा सेब खाने को दें जब तक की वे एक खरगोश की तरह चबाने न लगें।
यह एक कुरकुरा और स्वस्थ नाश्ता है, लेकिन यह भी छोटे बच्चों के लिए एक गंभीर घुटन का खतरा पैदा करता है। पोपकोर्न का बाहरी हिस्सा बहुत मुलायम होता है मगर उसके केंद्र का हिस्सा विघटित नहीं होता है। माता-पिता को 12 महीनों से कम उम्र के बच्चों को पॉपकॉर्न नहीं देना चाहिए। वास्तव में, अस्पतालों में छोटे बच्चों के कई ऐसे मामले सामने आते हैं, जहाँ बच्चे ने पॉपकॉर्न के एक टुकड़े के कारण दम तोड़ दिया हो। बाल रोग विशेषज्ञ बच्चों को कम से कम 4 साल का होने तक नाश्ते पर पॉपकॉर्न न देने की सलाह देते हैं।
लॉलीपॉप सहित हार्ड कैंडीज, तब तक बच्चों को न दें जब तक की वे अपने दांतों को ब्रश करने में सक्षम न हो जाएँ। है तब तक सबसे अच्छा देरी होती है। अगर घर में बड़े बच्चे हों तो उन्हें सिखाएं की वे अपने छोटे भाई बहनों के सामने हार्ड कैंडी और गम न खाएं।
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